ऑर्गेनिक खेती क्या होती है और इसे कैसे किया जा सकता है?

Organic kheti kya hota hai aur kaise kare | Jaivik kheti ! ऑर्गेनिक खेती क्या होती है और इसे कैसे किया जा सकता है: जानें स्वस्थ और टिकाऊ खेती के रहस्य

ऑर्गेनिक खेती एक ऐसा कृषि पद्धति है जिसमें केमिकल या सिंथेटिक पदार्थों जैसे रासायनिक खाद, कीटनाशक, और उर्वरक का उपयोग नहीं किया जाता। इसके स्थान पर, इस खेती में प्राकृतिक तत्वों जैसे जैविक खाद, कवर फसलें, हरी खाद, और कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।

इस प्रकार की खेती को अपनाने से न केवल पर्यावरण को फायदा होता है, बल्कि इसे करने वाले किसानों और इससे प्राप्त फसलों का उपभोग करने वालों की सेहत भी बेहतर होती है। आइए, इस लेख में हम जानेंगे कि ऑर्गेनिक खेती क्या होती है और इसे कैसे किया जा सकता है।

ऑर्गेनिक खेती क्या है? (Organic kheti kya hota hai)

ऑर्गेनिक खेती एक टिकाऊ और पर्यावरण-मित्र खेती का तरीका है जिसमें कृषि की पूरी प्रक्रिया प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने पर आधारित होती है। इस खेती में किसी प्रकार के रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है।

इसके स्थान पर जैविक खाद और कम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही, इस खेती में मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और फसलों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जैविक विधियों का प्रयोग किया जाता है।

ऑर्गेनिक खेती का मुख्य उद्देश्य सिर्फ उत्पादन को बढ़ाना नहीं है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा करना, मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखना और किसानों की समृद्धि को सुनिश्चित करना है। इस पद्धति में पौधों, मिट्टी और पर्यावरण के बीच के प्राकृतिक संबंधों को प्राथमिकता दी जाती है।

ऑर्गेनिक खेती के फायदे

ऑर्गेनिक खेती के कई फायदे होते हैं जो इसे पारंपरिक खेती से बेहतर बनाते हैं। इन फायदों में मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

1. पर्यावरण की सुरक्षा
ऑर्गेनिक खेती के दौरान किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे मिट्टी, जल और हवा की गुणवत्ता बनी रहती है। यह खेती जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी सहायक होती है क्योंकि यह कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती है।

2. मिट्टी की सेहत में सुधार
ऑर्गेनिक खेती में जैविक खाद, कम्पोस्ट और अन्य प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया जाता है जो मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और लंबे समय तक फसल उत्पादन बनाए रखा जा सकता है। जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की नमी भी संरक्षित रहती है।

3. कीट और बीमारियों से प्राकृतिक सुरक्षा
ऑर्गेनिक खेती में प्राकृतिक कीट नियंत्रण विधियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि जैविक कीटनाशकों, रोटेशनल क्रॉपिंग और इंटरक्रॉपिंग। ये विधियां फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने में प्रभावी होती हैं और रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती।

4. पौष्टिक और सुरक्षित फसलें
ऑर्गेनिक खेती से प्राप्त फसलें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और इनमें रासायनिक अवशेष नहीं होते। ये फसलें स्वास्थ्य के लिए बेहतर होती हैं और विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती हैं। साथ ही, ऑर्गेनिक उत्पादों का स्वाद और गुणवत्ता भी बेहतर होता है।

5. किसानों की समृद्धि
ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसान अक्सर पारंपरिक किसानों से अधिक मुनाफा कमाते हैं, क्योंकि ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग उच्च होती है और ये बाज़ार में ऊंचे दाम पर बिकते हैं। इसके अलावा, ऑर्गेनिक खेती में लागत कम होती है क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती।

ऑर्गेनिक खेती कैसे करें?

ऑर्गेनिक खेती करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करना पड़ता है। ये चरण प्राकृतिक संसाधनों और पारंपरिक कृषि विधियों के उचित उपयोग पर आधारित होते हैं। नीचे दी गई विधियों से आप ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत कर सकते हैं:

1. भूमि की तैयारी
ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत में सबसे पहले भूमि की तैयारी की जाती है। इसके लिए भूमि को रासायनिक अवशेषों से मुक्त करना जरूरी होता है। इसमें प्राकृतिक जैविक खाद, कम्पोस्ट, और ग्रीन मैन्योर का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जाता है। खेत की मिट्टी को समय-समय पर जांचते रहना चाहिए ताकि उसकी गुणवत्ता और उर्वरक क्षमता बरकरार रहे।

2. जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग
ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर जैविक खाद, वर्मीकम्पोस्ट, और गोबर की खाद का उपयोग किया जाता है। ये प्राकृतिक खाद मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं और फसलों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। जैविक खाद का नियमित उपयोग मिट्टी को समृद्ध और उत्पादक बनाए रखता है।

3. रोटेशनल क्रॉपिंग (फसल चक्रीकरण)
फसल चक्रीकरण एक ऐसी विधि है जिसमें एक ही भूमि पर विभिन्न फसलों को क्रमवार उगाया जाता है। इससे भूमि में एक ही प्रकार के पोषक तत्वों की कमी नहीं होती और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। यह विधि फसल उत्पादन में वृद्धि करती है और कीटों और बीमारियों के खतरे को कम करती है।

4. ग्रीन मैन्योर (हरी खाद)
हरी खाद का उपयोग फसल के बीच की खाली अवधि में किया जाता है। इसमें हरी फसलों को उगाया जाता है और फिर उन्हें जमीन में मिला दिया जाता है। इससे मिट्टी में नाइट्रोजन की पूर्ति होती है और मिट्टी की संरचना में सुधार होता है। हरी खाद पौधों के लिए पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है और यह मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

5. जैविक कीटनाशकों का उपयोग
ऑर्गेनिक खेती में रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, इसके बजाय जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। नीम के तेल, लहसुन का अर्क, मिर्च पाउडर और अन्य प्राकृतिक पदार्थों से बने जैविक कीटनाशक कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह पौधों के लिए सुरक्षित होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते।

6. कवर क्रॉपिंग (आच्छादक फसलें)
कवर क्रॉपिंग एक और महत्वपूर्ण विधि है जो ऑर्गेनिक खेती में उपयोग होती है। इसमें एक मुख्य फसल के बाद दूसरी फसल बोई जाती है जो भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होती है। यह विधि मिट्टी के कटाव को रोकती है और इसे नम बनाए रखती है।

7. जल प्रबंधन
ऑर्गेनिक खेती में जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसी जल बचाने वाली तकनीकों का उपयोग किया जाता है। ये विधियां पानी की बर्बादी को कम करती हैं और पौधों को आवश्यकतानुसार जल उपलब्ध कराती हैं। जल प्रबंधन से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और वे तेजी से बढ़ते हैं।

8. बायोडायवर्सिटी को बढ़ावा
ऑर्गेनिक खेती में जैव विविधता को बढ़ावा दिया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की फसलें और पेड़-पौधे उगाए जाते हैं, जो कीटों और बीमारियों के खतरे को कम करते हैं। इसके साथ ही यह पद्धति पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है।

ऑर्गेनिक खेती में चुनौतियां

ऑर्गेनिक खेती के फायदे तो बहुत होते हैं, लेकिन इसे अपनाने में कुछ चुनौतियां भी होती हैं। ये चुनौतियां मुख्य रूप से कृषि प्रौद्योगिकी और बाजार संबंधी होती हैं।

1. उत्पादन में कमी
ऑर्गेनिक खेती के शुरुआती वर्षों में उत्पादन में कमी आ सकती है क्योंकि किसान को जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों के साथ समायोजन करने में समय लगता है। पारंपरिक खेती की तुलना में, शुरुआत में पैदावार कम हो सकती है, लेकिन समय के साथ उत्पादन में सुधार होता है।

2. प्रमाणन और मानक
ऑर्गेनिक खेती के उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए सख्त मानकों का पालन करना पड़ता है। प्रमाणन प्रक्रिया समय लेने वाली और महंगी हो सकती है, खासकर छोटे किसानों के लिए। बाजार में ऑर्गेनिक उत्पाद बेचने के लिए सही प्रमाणपत्र होना आवश्यक होता है।

3. बाजार में प्रतिस्पर्धा
ऑर्गेनिक उत्पादों की कीमतें पारंपरिक उत्पादों की तुलना में अधिक होती हैं, जिससे यह सभी उपभोक्ताओं के लिए सुलभ नहीं होते। इससे ऑर्गेनिक किसानों को बाजार में कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।

4. कीट और बीमारियों का सामना
ऑर्गेनिक खेती में कीटों और बीमारियों से निपटने के लिए प्राकृतिक विधियों का उपयोग किया जाता है, जो हमेशा प्रभावी नहीं होते। यह किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, खासकर जब बड़े पैमाने पर कीट या रोग फैलते हैं।

ऑर्गेनिक खेती के लिए भारत में संभावनाएं

भारत में ऑर्गेनिक खेती की संभावनाएं बहुत व्यापक हैं। भारत में विविध जलवायु, मिट्टी और पारंपरिक कृषि ज्ञान ऑर्गेनिक खेती को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकार भी ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी का प्रावधान कर रही है।

बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों को मुनाफे के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। इसके साथ ही, लोग अब स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं, जिससे ऑर्गेनिक उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ी है।

निष्कर्ष

ऑर्गेनिक खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए भी फायदेमंद है। यह टिकाऊ खेती की एक प्रणाली है, जो प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग करके फसल उत्पादन करती है।

इसके माध्यम से हमें रासायनिक अवशेषों से मुक्त, पोषक तत्वों से भरपूर और स्वस्थ्य फसलें प्राप्त होती हैं। हालाँकि इस खेती में कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन सही जानकारी और तकनीक के उपयोग से इन्हें आसानी से पार किया जा सकता है।

यदि आप भी खेती करना चाहते हैं और पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए अपनी सेहत को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो ऑर्गेनिक खेती को अपनाएं। यह खेती का भविष्य है और इससे हम आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण दे सकते हैं।

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Dikesh Kumar

Experienced agronomist and farmer, sharing practical farming insights and product reviews to support agricultural communities on Kisan Hat.

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