Kisan Andolan kya hai aur iski karan kya hai in Hindi! किसान आंदोलन क्या है और इसके कारण क्या हैं?
भारत में कृषि का इतिहास सदियों पुराना है, और भारतीय समाज में कृषि का महत्व सदैव से केंद्रीय रहा है। देश की लगभग 70% आबादी कृषि पर निर्भर करती है। परंतु, समय-समय पर किसानों को कई समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते वे अपनी आवाज़ उठाने और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर मजबूर हुए।
इसी संघर्ष को “किसान आंदोलन” कहा जाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि किसान आंदोलन क्या है और इसके कारण क्या हैं।
किसान आंदोलन क्या है? (Kisan Andolan kya hai)
किसान आंदोलन एक सामाजिक आंदोलन है जिसमें किसान अपने हक और अधिकारों की मांग करते हैं। यह आंदोलन तब होता है जब किसानों को ऐसा महसूस होता है कि उनकी समस्याओं को सुनने और हल करने के लिए सरकार या संबंधित प्राधिकरणों द्वारा पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
किसान आंदोलन के दौरान किसान अपनी मांगों को सरकार के सामने रखने के लिए प्रदर्शन, धरना, रैली और हड़ताल का सहारा लेते हैं। ये आंदोलन अक्सर तब शुरू होते हैं जब किसान अपने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, ऋण माफी, सिंचाई सुविधाओं की कमी, भूमि अधिग्रहण, और अन्य कृषि संबंधित मुद्दों के कारण परेशान होते हैं।
किसान आंदोलन का इतिहास
भारत में किसान आंदोलनों का इतिहास लंबा और जटिल है। 19वीं शताब्दी से लेकर आज तक, विभिन्न किसान आंदोलन हुए हैं, जिनका उद्देश्य कृषि संकट को हल करना और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना रहा है। अंग्रेज़ों के शासनकाल में, किसानों को उच्च करों और असमानता का सामना करना पड़ा, जिसके कारण कई बार उन्होंने विद्रोह किया। 1859 में नील विद्रोह और 1875 का पाबना आंदोलन इसी का हिस्सा थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी, किसानों की स्थिति में विशेष सुधार नहीं हुआ। 1980 और 1990 के दशकों में कई प्रमुख किसान आंदोलन हुए, जैसे कि नर्मदा बचाओ आंदोलन और तेलंगाना आंदोलन, जिन्होंने सरकार को किसानों की मांगों की ओर ध्यान देने के लिए मजबूर किया।
वर्तमान किसान आंदोलन
हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2020 में, किसान आंदोलन फिर से प्रमुखता में आया। भारत सरकार ने कृषि से संबंधित तीन नए कानून पारित किए, जिन्हें किसान समुदाय के बड़े हिस्से ने अपने लिए हानिकारक माना।
इन कानूनों को लेकर व्यापक विरोध हुआ और यह आंदोलन महीनों तक चला। किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला और सरकार से कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस आंदोलन ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया।
किसान आंदोलन के प्रमुख कारण
किसान आंदोलन के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो समय-समय पर बदलते रहते हैं। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग
किसानों की सबसे प्रमुख मांगों में से एक है उनकी फसल के लिए उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी। MSP वह मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है, जिससे उन्हें नुकसान से बचाया जा सके। हालाँकि, कई बार किसानों को अपनी फसल MSP से भी कम दामों पर बेचनी पड़ती है, जिससे उन्हें भारी नुकसान होता है। इसके कारण वे कर्ज में डूब जाते हैं और आर्थिक संकट का सामना करते हैं। MSP की गारंटी और इसके दायरे को बढ़ाने की मांग के कारण किसान आंदोलनों का उदय होता है।
2. कृषि कानूनों का विरोध
2020 में पारित कृषि कानूनों को लेकर किसानों ने व्यापक विरोध किया। उनका मानना था कि ये कानून कृषि व्यापार को बड़े कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में सौंप देंगे और मंडी व्यवस्था को कमजोर कर देंगे, जिससे किसानों की मोलभाव की शक्ति कम हो जाएगी। किसानों की मुख्य चिंता थी कि नए कानूनों से उन्हें MSP से वंचित किया जा सकता है और उन्हें कॉर्पोरेट्स की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
3. ऋण माफी की मांग
किसान आंदोलनों का एक और प्रमुख कारण है कृषि ऋणों की माफी की मांग। भारत में किसानों को खेती के लिए अक्सर ऋण लेना पड़ता है, लेकिन खराब फसल या अन्य कारणों से जब वे ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो वे संकट में आ जाते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है और वे आत्महत्या जैसे कृत्यों के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए किसान ऋण माफी की मांग करते हैं।
4. सिंचाई और बुनियादी ढांचे की कमी
किसानों को अक्सर सिंचाई सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। इसके कारण उन्हें फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है, जो हमेशा भरोसेमंद नहीं होती। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली, और अन्य बुनियादी ढांचे की कमी के कारण भी किसान परेशान होते हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से मांग की जाती है, और जब इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता, तो किसान आंदोलन की स्थिति उत्पन्न होती है।
5. भूमि अधिग्रहण और भूमि सुधार
कई बार सरकार या प्राइवेट कंपनियां किसानों की जमीन का अधिग्रहण करना चाहती हैं। किसानों का मानना होता है कि उन्हें उनकी जमीन के बदले उचित मुआवजा नहीं मिलता, और उनके पुनर्वास की उचित व्यवस्था नहीं की जाती। इससे किसान आक्रोशित होते हैं और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन करने पर मजबूर हो जाते हैं। इसके साथ ही, भूमि सुधारों की मांग भी किसान आंदोलनों का एक प्रमुख कारण हो सकती है।
6. खेती की लागत और आय में असंतुलन
भारत में खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, जबकि किसानों की आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है। बीज, उर्वरक, कीटनाशक, और डीजल जैसी जरूरी सामग्रियों की कीमतें बढ़ने से खेती महंगी हो गई है, लेकिन किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। इससे किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं और आंदोलन की ओर बढ़ रहे हैं।
7. प्राकृतिक आपदाएं और जलवायु परिवर्तन
प्राकृतिक आपदाएं जैसे सूखा, बाढ़, और असामान्य मौसम पैटर्न किसानों की फसल को नष्ट कर सकते हैं। इसके कारण किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है और वे कर्ज में डूब जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से भी कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन समस्याओं का समाधान न होने पर किसान आंदोलन के लिए प्रेरित होते हैं।
8. सरकारी नीतियों में पारदर्शिता की कमी
कई बार किसानों को सरकार की नीतियों में पारदर्शिता की कमी महसूस होती है। वे महसूस करते हैं कि उनकी समस्याओं को उचित तरीके से नहीं समझा जा रहा है और सरकार की नीतियों में उनका हित नहीं है। इस असंतोष के कारण भी किसान आंदोलन होते हैं।
किसान आंदोलनों के परिणाम
किसान आंदोलनों का भारतीय समाज और राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। ये आंदोलन न केवल किसानों की समस्याओं को उजागर करते हैं, बल्कि सरकार और समाज को भी जागरूक करते हैं। कई बार, इन आंदोलनों के कारण सरकार ने किसानों की मांगों को स्वीकार किया है और उनके हित में नीतिगत बदलाव किए हैं।
किसान आंदोलनों ने भारतीय राजनीति को भी प्रभावित किया है। कई राजनीतिक दलों ने किसानों के मुद्दों को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया है, और ये मुद्दे चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, किसान आंदोलन ने सामाजिक एकता को भी बढ़ावा दिया है, क्योंकि ये आंदोलन अक्सर विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों के किसानों को एकजुट करते हैं।
निष्कर्ष
किसान आंदोलन भारतीय कृषि समाज की एक महत्वपूर्ण आवाज़ है। यह आंदोलन तब उत्पन्न होता है जब किसानों को अपने अधिकारों और समस्याओं का समाधान नहीं मिलता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे MSP की मांग, ऋण माफी, सिंचाई सुविधाओं की कमी, भूमि अधिग्रहण, और सरकारी नीतियों में पारदर्शिता की कमी।
किसान आंदोलन न केवल किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष करता है, बल्कि समाज और सरकार को भी जागरूक करता है। इस प्रकार, किसान आंदोलन भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो किसानों के हितों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्षरत रहता है।
यह भी पढ़ें!